छठ पर्व (Chhath Puja 2018) कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होता है और सप्तमी तिथि को समापन होती हैं।
ऐसा माना जाता हैं की अंग देश के राजा कर्ण ने गंगा नदी में छठ पर्व की शुरुआत की थी। अंग प्रदेश वर्तमान में बिहार का हिस्सा हुआ करता था। इसलिए छठ पूजा की शुरुआत बिहार से शुरु हुई। उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है, लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ व्रत में है।
मुहूर्त: 13 नवंबर:
- छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:41
- छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:28
- षष्ठी तिथि आरंभ – 01:50 (13 नवंबर 2018)
- षष्ठी तिथि समाप्त – 04:22 (14 नवंबर 2018)
छठ पूजा में अस्त सूर्य को जरूर अर्घ्य देना चाहिए
- जिन लोगों की आंखों की रौशनी लगातार घट रही हैं। या पेट दर्द की समस्या रहती हैं।
- जो विद्यार्थी परीक्षा में बार-बार असफल होते हैं।
छठ पूजा या व्रत के लाभ
- जिन लोगों को संतान न हो रही हो या संतान होकर बार-बार समाप्त हो जाती हो या संतान पक्ष से कष्ट हो रहे हो तो, तो ये व्रत बहुत लाभदायक है।
- कुष्ठ रोगी या जो लोग पाचन तंत्र की गंभीर समस्या से परेशान है तो ये व्रत बहुत शुभ माना गया हैं।
- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ख़राब हो गई हैं तो ये व्रत बहुत ही शुभ हैं।
छठ व्रत के समापन के नियम और सावधानियां
- नींबू पानी पीकर ही व्रत का समापन करना चाहिए और व्रत के तुरंत बाद अनाज और भारी भोजन नहीं करना चाहिए।
- अंतिम अर्घ्य के बाद घर के सभी लोगों में प्रसाद जरूर खाना चाहिए।
- नदी के जल को गंदा न करें और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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